कविता धुप पर सवार लय April 29, 2013 / April 29, 2013 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment कहीं से एक लय सुनाई दे रही थी और दूर कहीं एक ताल जैसे उस लय को खोजती हुई तेज गर्मियों की धुप पर सवार होकर अपनें अस्तित्व के इकहरे पन को ख़त्म कर लेना चाहती थी. लय और ताल अपनी इस यात्रा में अपनें अस्तित्व को साथ लिए चलते थे किन्तु उनका ह्रदय […] Read more » धुप पर सवार लय