कविता तुम धृतराष्ट्र के सिवा कुछ और बन सकते थे April 27, 2021 / April 27, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment विनय कुमार विनायकवैसे तुम समर्थवान थे धृतराष्ट्र के सिवाकुछ भी बन सकते थे दशरथ भीजिसने वचन निर्वाह के लिए ही नहींबल्कि प्रजा को राम सा सुशासकस्वकर से समर्पित नहीं करने के गम मेंअपनी इह लीला समाप्त कर ली थी! एक लंबी परंपरा, विशाल इतिहासऔर ढेर सारे आदर्श पात्र थे तुम्हारे सामनेकिंतु तुमने एक भी पसंद […] Read more » You could be anything other than Dhritarashtra धृतराष्ट्र