कविता
नारी शक्ति भारती
by बीनू भटनागर
लावण्य रूप मोहती, उत्कृषठ बुद्धि धारती, अपार शक्ति व्यापती, नारी शक्ति भारती। स्त्री विमर्श त्यागती, स्वयं को पहचानती, आरक्षण नहीं मांगती, संरक्षण नहीं चाहती। स्नेह आदर स्वीकारती, दासता धिक्कारती, कर्तव्य सब निर्वाहती, स्नेह से दुलारती।
Read more »