कविता नींबू के मन के वेदना April 16, 2022 / April 16, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कब तक तुम मुझको दरवाज़े पर लटकाओगे।मेरे भी कुछ अरमान है,कब तक मुझे सताओगे।। मैने किए बहुत उपकार बुरी नजरों से बचाया है।खुद लटक कर मैने ही आज तक बचाया है।। मै ही था जो मिरचो के संग भी मिल जाता था।सबको ही मै बुरी नजरो से हर दम बचाता था।। मैने क्या गुनाह किए […] Read more » नींबू के मन के वेदना