विधि-कानून न्यायालयों में हिन्दी May 25, 2013 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on न्यायालयों में हिन्दी सदियों से भारत में आम जनता की आवाज़ दबाई जाती रही है और उन्हें उनके नैसर्गिक अधिकारों से वंचित किया जाता रहा है। चाहे वह कोई युग रहा हो अथवा कोई राजा रहा हो। लोक भाषा कभी भी राज भाषा नहीं रही। संस्कृत को देवभाषा का अलंकरण देकर, इसे जनभाषा बनने से सोद्देश्य रोका […] Read more » न्यायालयों में हिन्दी