जन-जागरण विविधा
‘पशुधन’ नहीं, ‘धनपशु’ हैं आवारा
by अर्पण जैन "अविचल"
अर्पण जैन ‘अविचल’ शहर में ट्राफ़िक सिग्नल के सामने, अस्पताल में लगे नीम के पेड़ के नीचे, रास्ते के किनारे, कचहरी के खुले बरामदे में, चौराहों के बीचों-बीच, हाँफती रेलवे लाइन पर नेरोगेज रेल के सहारे खड़ा, कभी पोलिथीन तो कभी कूड़ा करकट ख़ाता, कभी शहरी सभ्यता के बीच आ जाता,कभी कुछ ज़हरीला खा लेने […]
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