कविता पहचान कहाँ खो गए December 31, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा जिन्हें ढूंढ़ रही थी आँखें वो कहाँ चले गए जिन्हें देख रही थी आँखें वो पहचान कहाँ खो गए जिन रास्तों पर चलने की सीख गुरुजनों के दी थी वे रास्ते क्यों अब सुनसान पड़ गए जिन पर चलने से किया था मना वे रास्ते क्यों अब भीड़ से पट गए परवरिश में […] Read more » पहचान कहाँ खो गए