कविता साहित्य पुरा अवशेष November 20, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on पुरा अवशेष दीखते पुरावशेष निस्तेज ,आज भी करते हैं अट्टहास । नष्ट होते रहते पल पल, गर्व से लेते हैं उच्छवास ।। समाधि में रहे जो लीन, अमर है आज सभी के साथ। शान्त अवशेष सा रहा बैठ, लगाया जादूगर सा आस।। जगी आंखें गई अब खुल, लगी गैंती कुदाल की चोट। पुराना बरसों […] Read more » पुरा अवशेष