कविता हास्य व्यंग्य कविता : पॉपुलर कारपोरेट मंत्र May 13, 2013 / May 13, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा सुबह से हो जाती थी शाम पर, हर दिन रहता था वह परेशान. मामला ओफिशिएल था कुछ -कुछ , कांफिडेंसिएल था. इसीलिए किसी से कुछ न कहता था खुद ही चुपचाप , सबकुछ सहता था. देखी जब मैंने उसकी दशा सुनी गौर से उसकी समस्या, सब कुछ समझ में आ गया . […] Read more » पॉपुलर कारपोरेट मंत्र