कहानी साहित्य प्यार की गरमी January 16, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment मोहन उनकी इरादे समझ गया। वह बोलना तो नहीं चाहता था, पर आज उससे रहा नहीं गया, ‘‘हां, ठीक कहते हो। तुम्हारे स्वेटर और कोट इतने गरम हो भी नहीं सकते। चूंकि उनमें पैसों की गरमी है और मेरे स्वेटर में दीदी के प्यार की गरमी। सब लड़कों का मुंह बंद हो गया। Read more » warmth of love प्यार की गरमी