कविता
प्रकृति से प्यार करो
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायकप्रकृति से प्यार करो, थोड़ा सा उसे दो,औ अधिक से अधिक उससे से ले लो,प्रकृति की जड़-चेतन,सुप्त-जागृत चीजें,कभी भी इंसान सा कृतघ्न नहीं होती! थोड़ी सी मिट्टी की निकासी गुड़ाई करो,एक छोटा सा बीज भूमि में बोकर देखो,एक नन्हा कोमल पौधा निकल आएगा,उसे थोड़ा सा खाद, पानी, निगरानी दो! जल्द ही एक बड़ा […]
Read more »