दोहे साहित्य प्रभु प्रभाव प्रति जीव सुहाई ! July 24, 2016 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment प्रभु प्रभाव प्रति जीव सुहाई; देश काल एकहि लग पाई ! पृथ्वी एक, देश सब अापन; विश्व बसहि, मानस उर अन्तर ! भेद प्रकट मन ही ते होबत; भाव सबल आत्मा संचारत ! बृह्म भाव आबत जब सुलझत; खुलत जात ग्रंथिन के घूँघट ! चक्र सुदर्शन-चक्र चलाबत; आहत होत द्वैत मति भागत ! नेह सनेह […] Read more » प्रभु प्रभाव प्रति जीव सुहाई !