कविता फ़ुर्सत के दिन March 25, 2015 by बीनू भटनागर | Leave a Comment कुछ दिन लाये थे , फ़ुर्सत के ढूंढकर, दो सोचने मे लग गये, कंहा चलें क्या करें। कंही पहाड पर चढ़े, या किसी मंदिर की, सीढियां चढे, या समुद्र तट पर ही न क्यों चलें। ये भी नहीं तो निकट ही, रंगीले राजस्थान की तरफ़ चलें। पर ऐसा कुछ हो न सका, बीमारियों ने हमे […] Read more » फ़ुर्सत के दिन बीनू भटनागर