पर्व - त्यौहार बताओ ! क्या मेरे ‘फागुन’ को तुमने देखा ? March 6, 2020 / March 6, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल माघ अलविदा हो चला है। मौसम का मिजाज फागुनी हो चला है। जवान ठंड अब बुढ़ी हो गई है। हल्की पछुवा की गलन सुबह – शाम जिस्म में चुभन और सिहरन पैदा करती है। […] Read more » अल्हड़ और अलमस्त फागुन बूढ़ा फागुन
कविता क्योंकि फागुन नीचे उतर आया है February 5, 2015 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment ऋतुओं के राजा फागुन के स्वागत में एक कविता बहुत से पहाड़ आ जातें हैं इन दिनों बहुत नीचें कुछ अधिक नम्र, प्रसन्नचित्त और समन्वय भरे हो जाते हैं वे क्योंकि फागुन नीचें उतर आया है. सूरज कुछ हो चलता है अधिक अधिक सा उजला घटाटोपों से संघर्ष कर वह निकल आता […] Read more » फागुन