कविता
फीका-फीका फाग
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
बदले-बदले रंग है, फीका-फीका फाग !ढपली भी गाने लगी, अब तो बदले राग !! फागुन बैठा देखता, खाली हैं चौपाल !उतरे-उतरे रंग है, फीके सभी गुलाल !! बढ़ती जाए कालिमा, मन-मन में हर साल !रंगों से कैसे मलें, इक दूजे के गाल !! सूनी-सूनी होलिका, फीका-फीका फाग !रहा मनों में हैं नहीं, इक दूजे से […]
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