कविता बदनसीब पुत्र की डायरी February 13, 2015 / February 13, 2015 by डॉ नन्द लाल भारती | Leave a Comment पिता की तुला पर बदनसीब खरा नहीं उत्तर पाया विफलता कहे या सफलता पुत्र नहीं समझ पाया। पिता की चाह थी श्रवण बनकर जमाने को दिखा दे , पुत्र भी चाहता था कि पिता की हर इच्छा पूरी कर दे। पर पुत्र ने होश संभालते विरोध की शपथ ले लिया था पिता की ऐसी इच्छा […] Read more » बदनसीब पुत्र की डायरी