कविता बन सौरभ तू बुद्ध !! December 27, 2020 / December 27, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment मतलबी संसार का, कैसा मुख विकराल !अपने पाँवों मारते, सौरभ आज कुदाल !! सिमटा धागा हो सही, अच्छे है कम बोल !सौरभ दोनों उलझते, अगर रखे ना तोल !! काँप रहे रिश्ते बहुत, सौरभ हैं बेचैन !बेरूखी की मार को, झेल रहें दिन-रैन !! जहर आज भी पी रहा, बनता जो सुकरात !कौन कहे है […] Read more » बन सौरभ तू बुद्ध