कविता प्रकृति का समीकरण September 8, 2018 / September 13, 2018 by डॉ छन्दा बैनर्जी | Leave a Comment डॉ. छन्दा बैनर्जी प्रकृति ने हमें मौके दिए हैं हर बार लेकिन , हम बुद्धिजीवी कहलाने वालों ने उसी प्रकृति पर प्रहार किये है बार-बार , चारों तरफ दो-दो गज ज़मीन पर चढ़ा कर कई-कई मंज़िलें सब कुछ सहने वाली धरती मां पर हम जुल्म पर जुल्म क्यों कर चले ? हम क्या सोच रहे […] Read more » धरती प्रकृति बरसने बुद्धिजीवियों