कविता बसंत January 27, 2023 / January 27, 2023 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment डाली-डाली में बिखरा बसंत है!मदहोश भरा मेरा तन-मन है!! मलय सुगंधित चंदन सा वास है !जीवन में अद्भुत सा उच्छवास है!! कलियों पर अलियों का बसेरा है !मन मलंग तन बसंत का डेरा है !! धानी चुनर से धरती शरमायी है !मिलन की बेला आज आयी है !! बौराई अमरायी सरसों गदराई है !गेंदा-गुलाब पर […] Read more » बसंत
कविता विपिन किशोर सिन्हा की कविता : वसन्त January 29, 2012 / January 29, 2012 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on विपिन किशोर सिन्हा की कविता : वसन्त झीने कोहरे की साड़ी का अवगुंठन सूर्य उठाता था, पोर-पोर में मस्ती भर जब पवन जगाने आता था। आम्र-कुन्ज में बौरों पर, भौंरे संगीत सुनाते थे, पंचम स्वर में श्यामल कोयल के गीत उभरते जाते थे। रक्त-पुष्प झूमे पलाश, सम्मोहित करते दृष्टि को, रसभरे फूल महुआ के गिर, मदहोश बनाते सृष्टि को। फूली सरसों ने […] Read more » बसंत