राजनीति बाजारवाद के इस दौर में प्रेम भी तोहफों का मोहताज़ हो गया February 13, 2019 / February 13, 2019 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment बाजारवाद के इस दौर में प्रेम भी तोहफों का मोहताज़ हो गयावैलेंटाइन डे, एक ऐसा दिन जिसके बारे में कुछ सालों पहले तक हमारे देश में बहुत ही कम लोग जानते थे, आज उस दिन का इंतजार करने वाला एक अच्छा खासा वर्ग उपलब्ध है। अगर आप सोच रहे हैं कि केवल इसे चाहने वाला युवा […] Read more » Valentine Day बाजारवाद
विविधा बाज़ारवाद का आतंक June 1, 2011 / December 12, 2011 by चंद्र मौलेश्वर प्रसाद | Leave a Comment चंद्र मौलेश्वर प्रसाद देश की स्वतंत्रता के बाद भारत ने पहली पंचवर्षीय योजना लागू की थी, जिसमें खेती को प्राथमिकता दी गई। दूसरी पंचवर्षीय योजना एक ऐसी महत्त्वकांक्षी योजना थी जिसे साकार करने के लिए देश के प्रधानमंत्री ने पेट और कमर कसने की बात कही थी। देश ऐसे दौर से भी गुज़रा जब लोगों […] Read more » Market place बाजारवाद
खेत-खलिहान हिन्दी लेखकों की ‘बाजारवाद’ को लेकर गलत समझ – गिरीश मिश्रा November 13, 2010 / December 20, 2011 by गिरीश मिश्रा | 3 Comments on हिन्दी लेखकों की ‘बाजारवाद’ को लेकर गलत समझ – गिरीश मिश्रा पिछले कुछ वर्षों में हिंदी साहित्यकार और पत्रकार बडी संख्या में बाजार और एक अस्त्विहीन अवधारणा ‘बाजारवाद’ के खिलाफ लठ लेकर पडे हैं। कहना न होगा कि इन जिहादियों को न तो अर्थशास्त्र का ज्ञान है और न ही इतिहास का। अर्थशास्त्र में ‘बाजारवाद’ नाम की कोई भी अवधारणा नहीं है। अगर विश्वास न हो […] Read more » Marketism बाजारवाद