कविता बैठक है वीरान !! November 19, 2020 / November 19, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment चूस रहे मजलूम को, मिलकर पुलिस-वकील !हाकिम भी सुनते नहीं, सच की सही अपील !! जर्जर कश्ती हो गई, अंधे खेवनहार !खतरे में सौरभ दिखे, जाना सागर पार !! थोड़ा-सा जो कद बढ़ा, भूल गए वो जात !झुग्गी कहती महल से, तेरी क्या औकात !! बूढ़े घर में कैद हैं, पूछ रहे न हाल !बचा-खुचा […] Read more » बैठक है वीरान