कविता भक्त भ्रष्ट हो जाते हैं नौकरी के मिलते December 2, 2020 / December 2, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकअवैध कमाते हैं जो, अहंकार में इतराते,अवैध अवैध होता वो समझ नहीं पाते! ईश्वर भक्ति है दिखावा उन कर्मियों का,जो बिन नजराने जनसेवा में टांग अड़ाते! काम के बदले मेहनताना मिले,वो अच्छा,एक काम के दो दाम हराम ही कहलाते! अवैध कमानेवालों में वैध समझौता होता,हिसाब किताब ठीक होता भातृवत रहते! उतना प्रेम शायद […] Read more » भक्त भ्रष्ट हो जाते हैं नौकरी के मिलते