ज्योतिष भारतीय संस्कृति में श्राद्ध कर्म की गरिमा December 21, 2011 / December 21, 2011 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment भारतीय हिन्दु संस्कृति मे तीन प्रकार के ऋणों का उल्लेख है- पितृ ऋण, ऋशि ऋण व देव ऋण। शास्त्र विहित कर्मो की पुजा, वत्र,उपवासादि से देव ऋण से मुक्त होते है। पितृ ऋण मे मनुष्य श्राद्ध, पितृ पूजन करने से मुक्त होता है। तिलयुक्त जल के तर्पण,ब्राह्यण भोजन, अग्नि करण, पिण्दान ये श्राद्ध के अंग […] Read more » importance of shraddha karma in bhartiya sanskriti भारतीय संस्कृति में श्राद्ध कर्म की गरिमा