कविता फ़ेस बुक पेज़ से भारत की पलायन करती अर्थव्यवस्था यानी मज़दूरों को सादर समर्पित May 22, 2020 / May 22, 2020 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment गर लौट सका तो जरूर लौटूंगा, तेरा शहर बसाने को।पर आज मत रोको मुझको, बस मुझे अब जाने दो।।मैं खुद जलता था तेरे कारखाने की भट्टियां जलाने को,मैं तपता था धूप में तेरी अट्टालिकायें बनाने को।मैंने अंधेरे में खुद को रखा, तेरा चिराग जलाने को।मैंने हर जुल्म सहे भारत को आत्मनिर्भर बनाने को।मैं टूट गया […] Read more » भारत की पलायन करती अर्थव्यवस्था मज़दूरों को सादर समर्पित