कविता भारत की व्यथा July 29, 2013 / July 29, 2013 by प्रवीण कुमार | Leave a Comment प्रवीण कुमार मै थी एक सोने की चिड़िया , मेरी थी हर बात निराली . सदाबहार नदी-तालों से ,खेतों में उगती हरियाली. घोर-परिश्रम और ज्ञान से , हर घर में थी खुसिहाली. तप-त्याग और सदाचार से , मेरे चेहरे पर थी लाली. सोने-चान्दी,हीरे-पन्नों से , घर- आँगन थे भरे-भरे . […] Read more » भारत की व्यथा