समाज मंदिर जैसी माँ July 27, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on मंदिर जैसी माँ सुबह खुद चार पर उठकर, हमें माँ ने जगाया है| कठिन प्रश्नों के हल क्या हैं, बड़े ढंग से बताया है| किताबें क्या रखें कितनी रखें, हम आज बस्ते में, सलीके से हमारे बेग को , माँ ने जमाया है| बनाई चाय अदरक की, परांठे भी बनाये हैं| हमारे लंच […] Read more » मंदिर जैसी माँ