आर्थिकी व्यंग्य पोटली में रुपया May 29, 2015 by अमित राजपूत | Leave a Comment -अमित राजपूत- आज जहां पैसों को पानी की तरह बहाया जा रहा है, उसके पर्दे की वो प्रथा समाप्त हो गयी जिसके रहते लोग पैसों से कभी साध्य की तरह व्यवहार नहीं करते थे, आज भिखारी भी एक का सिक्का स्वाभिमान में वापस कर देता है। आज के समय में जहां किसी दुकान से कुछ […] Read more » Featured पोटली में रुपया महंगाई पर व्यंग्य व्यंग्य