कविता महकता मेरा गुलिस्तां सदा रहता July 15, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on महकता मेरा गुलिस्तां सदा रहता -गोपाल बघेल ‘मधु’- हम रहे आनन्द की आशा बने (मधुगीति सं. २२९२) हम रहे आनन्द की आशा बने, हम रहे ब्रह्मांड की भाषा बने; अण्डजों की आत्म की सुषमा बने, पिण्डजों की गति की ख़ुशबू बने । समय में चलना कभी चाहे हमीं, पूर्व के कुछ दृश्य लख चाहे कभी; भविष्यत की झांकियां चाहे कभी, […] Read more » कविता महकता मेरा गुलिस्तां सदा रहता हिन्दी कविता