साहित्य कहो कौन्तेय-३ July 27, 2011 / December 8, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा पिछला भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें। मैंने आँखें बंद कर ली। सर्वप्रथम महर्षि दुर्वासा को प्रणाम किया, पश्चात प्रभात बेला में उगते हुए सूर्य की ओर दृष्टि उठाई और द्रूतगति से मंत्रों का उच्चारण प्रारंभ कर दिया। मन की संज्ञा धीरे-धीरे लुप्त होती चली गई और जब आँख खुली तो देखा, […] Read more » Maharshi Durvasa महर्षि दुर्वासा