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शख्सियत समाज

सभी देशवासियों के सम्मानीय महात्मा ज्योतिबा फूले

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समाज सुधार के क्षेत्र में भी आपका महत्वपूर्ण योगदान है। आपने विधवा विवाह की वकालत की थी और धार्मिक अन्धविश्वासों का विरोध किया था। महात्मा ज्योतिबा फूले ने 24 सितम्बर, 1872 को ‘सत्य शोधक समाज’ की स्थापना की थी। हमें यह नाम बहुत प्रभावित करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि महात्मा फूले इसके द्वारा समाज का शोधन कर देश को सत्य मान्यताओं और सिद्धान्तों पर आरूढ़ करना चाहते थे। इस समाज को स्थापित करने का महात्मा जी का मूल उद्देश्य दलितों पर अत्याचारों का उन्मूलन करना था। आपने विधवाओं व महिलाओं का शोषण दूर कर समानता का अधिकार उन्हें दिलाया। आपने किसानों व श्रमिकों की हालात सुधारने के अनेक प्रयास किये। आप अपने समस्त कार्यों से महाराष्ट्र में प्रसिद्ध हो गये और समाज सुधारकों में आपकी गणना की जाने लगी। आपने अनेक पुस्तकों का प्रणयन किया। आपकी कुछ पुस्तकें हैं- तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, ब्राह्मणों का चातुर्य, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफीयत, गुलाम-गिरी, संसार, सार्वजनिक सत्यधर्म आदि। आप निःसन्तान रहे। आपने एक विधवा के बच्चे यशवन्त को गोद लिया था। यह बालक बाद में डाक्टर बना। इसने महात्मा फूले के कार्यों को विस्तार दिया। जुलाई, 1888 में महात्मा फुले जी को पक्षाघात हो गया था। आपने 18 नवम्बर, 1890 को अपने कुछ मित्रों को वार्तालाप के लिये बुलाया था। उनसे वार्तालाप किया। दाके कुछ देर बाद आपकी मृत्यु हो गई थी।

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