कविता साहित्य माँ शारदे, वर दे February 13, 2016 by हिमकर श्याम | Leave a Comment वरदायिनी माँ शारदे, वर दे मैं अल्पज्ञानी शरण में ले मुझे चरण में स्थान दे हे वागीश्वरी गहन है अँधेरा अज्ञान हर शब्दाक्षर दान दे विद्या, बुद्धि ज्ञान दे वीणा वादिनी वसंत की रागिनी विनती करूँ सुमधुर तान दे कलम को धार दे -हिमकर श्याम Read more » मां शारदे वर दे
कविता मां शारदे मुझे सिखाती January 20, 2010 / December 25, 2011 by स्मिता | 2 Comments on मां शारदे मुझे सिखाती दौर नया है युग नया है हानि-लाभ की जुगत में चारों ओर मची है आपाधापी मां शारदे मुझे सिखाती तर्जनी पर गिनती का स्वर न काफी भारत की थाती का ज्ञान न काफी सिर्फ अपना गुणगान न काफी मां शारदे मुझे सिखाती नवसृजन की भाषा सीखो मानव मुक्ति का ककहरा सीखो भव बंधन के बीच […] Read more » poem कविता मां शारदे