कविता मानव खुद का नियंता खुद November 8, 2020 / November 8, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकचंद मिली जीवन की सांस,ईश्वर का कर लें अरदास! पहला ईश्वर माता पिता हैं,दूजा गुरु को करें अहसास! देश धर्म जीव रक्षण कर्म है,वक्त मिले तो मंदिर दरगाह! मानव तन मिला है भाग्य से,मत करें इसको यूं ही बर्बाद! पशु से इतर होता मानव तन,बुद्धि विवेक मानव के पास! ये तन पशु-पक्षी, मीन […] Read more » मानव खुद का नियंता खुद