कविता मानव सभ्यताएं April 9, 2021 / April 9, 2021 by मंजुल सिंह | Leave a Comment उसकी आँखे खुली थी या बंदये कह पाना मुश्किल सा ही थाक्योकि उसकी आँखो के बाहरबड़ी बड़ी तख्तियां लटक रही थीजिस पर लिखा था मानव सभ्यताएंउसकी नाक के नथुने इतने बड़े थेकी पूरी पृथ्वी समां जायेउसका मुँह ऐसा थाजैसे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की सभ्यताओंको यही से निगला गया होआप उसकी गर्दन को लम्बा कहेंगेतो आपको नर्क […] Read more » मानव सभ्यताएं