कविता साहित्य मेरे अस्तित्व का आलिंगन करती कुछ रेखाएँ ! June 6, 2016 / June 6, 2016 by गोपाल बघेल 'मधु' | 1 Comment on मेरे अस्तित्व का आलिंगन करती कुछ रेखाएँ ! मेरे अस्तित्व का आलिंगन करती कुछ रेखाएँ; असीम से आती हैं; आकाश से आ मुझे झाँक जाती हैं, आँक कर कहीं चली जाती हैं ! मैं अंतस में उनकी ऊर्जा का आलोड़न अनुभव करता हूँ, तरता हूँ; तैरता हूँ, तरंगों में भर उठता हूँ, तड़पन से निकलता हूँ ! वह मेरे पास है, मुझ में […] Read more » नियति के नाटक मुझे ! मेरे अस्तित्व का आलिंगन करती कुछ रेखाएँ ! रंग में कुछ हैं तरंगें