गजल साहित्य मेरे लफ़्ज तुझसे यकीं माँगें May 8, 2017 by शालिनी तिवारी | Leave a Comment शालिनी तिवारी झुरमुट में दिखती परछाइयाँ घुँघुरू की मद्दिम आवाज लम्बे अर्से का अन्तराल तुझसे मिलने का इन्तजार चाँद की रोशन रातों में पल हरपल थमता जाए ऐसा लगता है मानो तुम मुझसे आलिंगन कर लोगी पर कुछ छण में परछाइयाँ नयनों से ओझल हो जायें दिन की घड़ी घड़ी में बस बस तेरी ही […] Read more » मेरे लफ़्ज तुझसे यकीं माँगें