कविता मैं हूँ अराजक September 28, 2014 by कुलदीप प्रजापति | 1 Comment on मैं हूँ अराजक रोज यही बस खबर दिख रही टी .वी .और अखबारों में, मेरे देश की बेटी लुटती आश्रम और गलियारों में | कुछ लोग मुझे कहते हैं अराजक जब आवाज उठाता हूँ उनकी भाषा में दिया जवाब सत्ता का लोभी कहलाता हूँ| पहले राजा अँधा था अब गूंगा बहरा आया हैं, हर बहन बेटी […] Read more » मैं हूँ अराजक