कविता साहित्य मैं हूँ एक इंसान October 11, 2015 / October 11, 2015 by वैदिका गुप्ता | Leave a Comment ना नाम है मेरा ना पहचान है मेरी ना कोई धर्म है मेरा मैं हूँ एक इंसान।। ना जोड़ो मुझे किसी धर्म से, मेरा धर्म भी इंसानियत है। मेरा कर्म भी इंसानियत है।। दूर रहो मुझसे, ऐ धर्म के पेहरेदारों, तू जितने पास आया है! उतनी इंसानियत खो दी मैंने। तुझे सत्ता में आना है, […] Read more » Featured मैं हूँ एक इंसान