कविता मै भी हूं तन्हा,तू भी है तन्हा June 25, 2021 / June 25, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै भी हूं तन्हा,तू भी है तन्हा,छोड़ जायेंगे इस जहां को तन्हा। आए थे तन्हा,जायेगे हम तन्हा,छोड़ जायेगे इस दौलत को तन्हा। ये चांद है तन्हा,ये सूरज है तन्हा,ये आसमां में दोनों घूमते हैं तन्हा। तन्हा रहकर भी न हो पाए हम तन्हा,तेरी याद आती है जब होते है तन्हा। क्यों परेशान करती हो जब […] Read more » तू भी है तन्हा मै भी हूं तन्हा
कविता मै भी हूं तन्हा,तुम भी हो तन्हा August 28, 2020 / August 28, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मैं भी हूं तन्हा,तुम भी हो तन्हा।चले उस जगह,जहा दोनों हो तन्हा।। सूरज भी है तन्हा,चांद भी है तन्हा।करते है सफर आसमां में वे तन्हा।। चलो तन्हाई को रुकसत करे हम दोनों।घर बसाए कहीं चलकर हम दोनों तन्हा।। मेरी जान भी तन्हा,तेरा जहां भी तन्हा।छोड़ कर चल देंगे,इस जहां को तन्हा।। लेकर न जाएंगे कुछ […] Read more » मै भी हूं तन्हा