कविता मै हूं एक मिट्टी का घड़ा April 15, 2022 / April 15, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै हूं एक मिट्टी का घड़ा,सड़क किनारे मै हूं पड़ा।बुझाता हूं मै सबकी प्यास,कुम्हार मुझे लिए है खड़ा।। खुदाने से खोदकर मिट्टी लाता है,तब कहीं कुम्हार मुझे बनाता है।बड़ी मेहनत से सुखा तपा कर,तब कही वह मुझे बाजार लाता है बुझाता हूं प्यासे की प्यास मै ही,कुम्हार के बच्चो का पेट पालता हूं।कहता नहीं मै […] Read more » I am an earthen pot मै हूं एक मिट्टी का घड़ा
कविता बच्चों का पन्ना मै हूं एक मिट्टी का घड़ा April 15, 2021 / April 15, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै हूं एक मिट्टी का घड़ा,सड़क के किनारे मै पड़ा।बुझाता हूं मै सबकी प्यास,कुम्हार मुझे लिए है खड़ा।। खुदाने से खोदकर मिट्टी लाता है,तब कहीं कुम्हार मुझे बनाता है।बड़ी मेहनत से सुखा तपा कर,तब कहीं वह मुझे बाजार लाता है।। बुझाता हूं प्यासे की प्यास मै ही,कुम्हार के बच्चो का पेट पालता हूं।कहता नहीं मै […] Read more » मै हूं एक मिट्टी का घड़ा