कविता ये मोबाइल रिश्ते का हो गया है भस्मासुर July 28, 2025 / July 28, 2025 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैं ढूँढ रहा हूँ अपनों में अपनापनइंसान में इंसानियत आदमी में आदमियतकि आज मानव से मानवता हो गई लापता! मैं सोच नहीं पाता हूँ कि किसने की खतामैं रहता हूँ मौन मैं करता नहीं किसी को फोनमैं खोजता हूँ अपनों के बीच वैसा ही रिश्ताजो बगैर फोन का बन जाया करता था फरिश्ता! […] Read more » This mobile has become the Bhasmasur of relationships मोबाइल रिश्ते का हो गया है भस्मासुर