धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-८ February 24, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment कंस वापस अपने राजप्रासाद में आ तो गया परन्तु भगवान के प्रति शत्रुता के सागर में निमग्न वह बैठे-सोते, चलते-फिरते, भोजन करते, काम करते – जीवन की सभी अवस्थाओं में भगवान विष्णु का ही चिन्तन करने लगा। वह जितना ही इस चिन्तन से बाहर निकलने का प्रयास करता, उतना ही अनायास गहरे में डूब […] Read more » yashodanandan यशोदानंदन यशोदानंदन-८