राजनीति ये ‘आप’ की समझी हुई ना-समझी है January 5, 2014 / January 15, 2014 by राजीव रंजन | 8 Comments on ये ‘आप’ की समझी हुई ना-समझी है राजीव रंजन किस्से बनेंगे अब तो, बरस भी कमाल के / पिछला बरस गया है, कलेजा निकाल के… जगजीत सिंह की आवाज में यह गजल आज की राजनीतिक गतिविधियों को परिलक्षित करने के लिए काफी है। पिछला बरस तो सचमुच यूपीए सरकार ने भ्रष्टाचार और महंगाई से आम जनता का कलेजा निकाल बाहर रख दिया, […] Read more » AAP ये ‘आप’ की समझी हुई ना-समझी है