कविता ये कथा है तब की जब जाति नहीं बनी थी September 29, 2020 / September 29, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकये कथा है तब की जब जाति नहीं बनी थीवर्ण नहीं था जन्मगत, सभी कर्म से अर्जित! एक ही घर में कोई ब्रह्मज्ञानी ब्राह्मण तपीकोई कुलवंश कबीला नारी रक्षक त्राता क्षत्रिय! कोई लघुभ्राता बना ब्राह्मण गुरुभक्त आरुणि!खेतमेढ़ तटबंधरक्षी करता आश्रम में बागवानी! कोई विश ग्रामणी कृषक बना था वैश्य वणिककोई ज्येष्ठ राज्याभिषिक्त का […] Read more » ये कथा है तब की जब जाति नहीं बनी थी