जन-जागरण राम राज्य की कल्पना के सहज किन्तु वर्तमान में असुलभ अर्थ April 9, 2014 / April 9, 2014 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट. ये वाक्य न जानें कहनें वाले ने किन अर्थों में किस आव्हान को करते हुए कहा था किन्तु वर्तमान भारत में यह आव्हान चरितार्थ और सुफलित होता दिखाई पड़ रहा है. तथ्य है कि भारत में जब यहाँ के एक सौ तीस करोड़ लोग बात करतें […] Read more » राम राज्य की कल्पना के सहज किन्तु वर्तमान में असुलभ अर्थ