कविता विविधा रूपांतरण August 17, 2015 by विजय कुमार सप्पाती | 1 Comment on रूपांतरण एक भारी वर्षा की शाम में अकेले भीगते हुए … .. और अंधेरे आकाश की ओर ऊपर देखते हुए .. जो की भयानक तूफ़ान के साथ गरज रहा था और .. आसपास कई काले बादल भी छाए हुए थे मैंने प्रभु से प्रार्थना करना शुरू कर दिया की ; अधिक से अधिक ,ऐसी भारी बारिश […] Read more » रूपांतरण