कविता
लिखता हूँ बार बार उसको मिटा देता हूँ मै,
/ by आर के रस्तोगी
चारो तरफ है सन्नाटा ,अब क्या किया जाये ,दिल बहलाने के लिये, अब कुछ लिखा जाये |भेज दू क्या मै जो लिखता हूँ,मै तुम्हारे लिये ,जिससे दिल की बाते,दिल को सुना दिया जाये |\ लिखता हूँ बार बार उसको मिटा देता हूँ मै,हिम्मत नहीं होती है उसको बता दू मै |पता नहीं ये दिल,कमजोर हो […]
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