व्यंग्य साहित्य वरिष्ठ जाड़ का दर्द June 21, 2013 by जगमोहन ठाकन | 4 Comments on वरिष्ठ जाड़ का दर्द पिछले कुछ दिनों से ‘‘वरिष्ठ जाड़ ’’ की सन्सटीविटी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी । ठण्डा खाओ तो दर्द,गर्म खाओ तो दर्द । इतनी भारी भरकम गर्मी में शरीर कहता है कि कुछ ठण्डा पिया जाये वर्ना डिहाइडरेसन का खतरा बढ़ जाता है । जीभ कहती है कि कुछ कूल-कूल हो जाये । पर […] Read more » वरिष्ठ जाड़ का दर्द