कविता व्यंग – कविता:आज़ादी August 17, 2012 / August 16, 2012 by राघवेन्द्र कुमार 'राघव' | Leave a Comment राघवेन्द्र कुमार ”राघव” फहर रहा था अमर तिरंगा जगह युनिअन जैक की | गुजर गयी थी स्याह रात चमकी किस्मत देश की | स्वाधीन हुआ परतंत्र देश फिर नया सवेरा आया | पन्द्रह अगस्त का दिन खुशियों की झोली भर कर लाया | बापू, चाचा, सरदार सभी की मेहनत रंग थी लायी | भगत सिंह, […] Read more » poem by raghvenfra व्यंग - कविता:आज़ादी