कविता व्यथा September 17, 2014 / September 17, 2014 by कुलदीप प्रजापति | 2 Comments on व्यथा कल-कल करती बहती नदियाँ हर पल मुझसे कहती हैं , तीर का पाने की चाहत मैं दिन रात सदा वह बहती हैं, कोई उन्हें पूछे यह जाकर जो हमसे नाराज बहुत , मैने सहा बिछुड़न का जो गम क्या इक पल भी सहती हैं | मयूरा की माधुर्य कूकन कानो मैं जब बजती […] Read more » व्यथा