धर्म-अध्यात्म संवेदनाशून्यता में संस्कृति विनाश September 19, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment – हृदयनारायण दीक्षित सृष्टि एक है। दो नहीं। यह अद्वैत है। ढेर सारे रूप हैं, जीव और वनस्पतियां हैं लेकिन समूची सृष्टि में परस्परावलम्बन है। अथर्ववेद के ऋषि गौंओं से प्रार्थना करते हैं, आपकी सन्तति बढ़े, आप स्वच्छ चारा खायें। शुध्द जल पियें – प्रजावतीः सूयवसे रूशन्ती शुध्दा अपः। (अथर्व0 4.21.7) कहते हैं, आप अपनी […] Read more » Destruction of culture संस्कृति विनाश